ज़िंदगी कभी-कभी ख़ामोशी से बहुत कुछ कह जाती है। कभी एक अधूरी दुआ बनकर, तो कभी किसी अनजाने हाथ की गर्माहट में उम्मीद बनकर लौट आती है। ZEE5 की नई पेशकश “कालीधर लापता“ कुछ ऐसा ही अनुभव लेकर आती है — एक यात्रा जो सिर्फ सड़कों पर नहीं, बल्कि भीतर की रिक्तता में तय होती है।
कहानी: एक अधूरी आत्मा और एक नन्हा प्रकाश
कालीधर (अभिषेक बच्चन) एक ऐसा बुज़ुर्ग है, जो अपने ही घर में गैर हो चुका है। जब उसे यह एहसास होता है कि उसका परिवार उसे कुम्भ के मेले में छोड़ देने वाला है — वो भाग जाता है। लापता हो जाता है, सिर्फ दुनिया से नहीं… खुद से भी।
वहीं, बल्लू (दैविक बघेला) नाम का 8 साल का अनाथ बच्चा — सड़क के नियमों में पल रहा, लेकिन मन से आज़ाद — उससे टकराता है। और यहीं से शुरू होती है एक अनोखी दोस्ती।
यात्रा जो दिल से निकलती है
बल्लू और कालीधर मिलकर एक “बकेट लिस्ट” बनाते हैं।
✅ शादी में नाचना
✅ बिरयानी खाना
✅ मोटरसाइकिल चलाना
✅ मंदिर की घंटी बजाना
✅ और सबसे अहम — जीना दोबारा सीखना
इस लिस्ट के बहाने फिल्म धीरे-धीरे एक दार्शनिक यात्रा में बदल जाती है। हर दृश्य, हर संवाद, मानो किसी खोए हुए दर्शक की रूह को सहला रहा हो।
अभिषेक बच्चन ने इस बार शायद अपने करियर की सबसे खामोश लेकिन सबसे ऊँची भूमिका निभाई है। कालीधर के चेहरे पर झलकता डर, मोह, गुस्सा और अंत में शांति… सब कुछ बहुत सधे हुए अंदाज़ में सामने आता है। दैविक बघेला जैसे बाल कलाकार बॉलीवुड के लिए उम्मीद की नई किरण हैं। उनका मासूम अंदाज़, बड़ों की दुनिया में बच्चों की सी सादगी लाता है। मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब जैसे समर्थ अभिनेता भी सहायक किरदार में कहानी की गहराई को और मजबूत करते हैं।
निर्देशन
मधुमिता, जिन्होंने तमिल फिल्म K.D. (Karuppudurai) को निर्देशित किया था, इस बार हिंदी में वही जादू रचती हैं।
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कोई फालतू मेलोड्रामा नहीं
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कोई बेवजह की चालाकी नहीं
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बस एक सच्ची, सरल कहानी जो दिल को छूती है
फिल्म का रंग संयोजन, कैमरा मूवमेंट और बैकग्राउंड म्यूज़िक — सबकुछ मिलकर इसे “भारतीय सिनेमा की एक बुटीक फिल्म” बनाता है।
सचिन-जिगर जैसे संगीतकारों का टच अगर यहाँ है तो वो बहुत सीमित और कंट्रोल में है — न गाने ज़बरदस्ती के हैं, न बैकग्राउंड स्कोर अत्यधिक। बहुत बार फिल्म का सबसे शक्तिशाली संवाद वही होता है जो बोला नहीं जाता।
कहां और कब देखें
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रिलीज़ डेट: 4 जुलाई 2025
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प्लैटफ़ॉर्म: ZEE5 (OTT)
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फैमिली के साथ देखने योग्य: 100%
“कालीधर लापता” सिर्फ एक फिल्म नहीं, यह एक प्रतीक है — उन बुज़ुर्गों का जो इस तेज़ दौड़ती दुनिया में कहीं चुपचाप कोने में बैठ जाते हैं… और उन बच्चों का, जिनकी मुस्कान किसी की ज़िंदगी को दोबारा जादू में बदल सकती है।
अगर आपने Piku, Lunchbox, या Dear Zindagi जैसी फिल्मों से प्रेम किया है — तो यह फिल्म आपका दिल चुरा लेगी।