अप्रैल 2024 में जब पहलगाम में आतंकी हमला हुआ तो पूरा देश सदमे और ग़ुस्से में था। शहीदों के परिवार रो रहे थे, लोग सरकार से जवाब मांग रहे थे, और सोशल मीडिया पर हर कोई एकजुट होकर ग़ुस्सा जता रहा था। लेकिन तभी इन्फ्लुएंसर Tanya Mittal ने अपने इंस्टाग्राम पर बयान दे मारा— “टेररिज़्म का कोई धर्म नहीं होता।” सुनने में यह लाइन कितनी भी “ग्लोबल पीस” वाली लगे, लेकिन उस वक्त इसे बोलना यानी ज़ख्म पर नमक छिड़कने जैसा था।
सोशल मीडिया पर लोग भड़क उठे। किसी ने कहा, “मैडम, शहीदों का खून अभी सूखा भी नहीं और आप ज्ञान बांटने आ गईं।” दूसरे ने लिखा, “ये लाइन sympathy के लिए है या पब्लिसिटी के लिए?” कुल मिलाकर माहौल ऐसा हो गया कि लोग उनके बयान को “संवेदनहीनता” और “ग़लत टाइमिंग” का नमूना मानने लगे। सच तो यह है कि जब लोग दुख में होते हैं, तब उन्हें फ़लसफ़ा नहीं बल्कि इंसाफ़ चाहिए होता है।
विवाद इतना तगड़ा हुआ कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग को आधिकारिक बयान देकर उनसे दूरी बनानी पड़ी। दोनों विभागों ने कहा कि “टन्या मित्तल से हमारा कोई नाता नहीं।” यानी सरकार तक को यह कहना पड़ा कि “भाई, ये हमारी नहीं हैं… अपनी गलती खुद संभालें।” साफ है कि विभागों ने उन्हें “काली भेड़” की तरह किनारे कर दिया।
असलियत ये है कि टन्या मित्तल ने उस वक्त ऐसा बयान दिया जो न सिर्फ़ लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता था बल्कि यह भी दिखाता था कि वो कंट्रोवर्सी के जरिए सुर्खियों में रहना चाहती हैं। उनके बयान से साफ़ हो गया कि उन्हें टाइमिंग और संवेदनशीलता का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं। और यही वजह है कि लोगों की नज़र में वो इस पूरे मामले में दोषी (guilty) नज़र आईं।
आज जब वह बिग बॉस 19 में दाख़िल हो चुकी हैं, तो दर्शकों के दिमाग में यह सवाल गूंज रहा है कि “क्या वही टन्या हैं, जिन्होंने पहलगाम हमले के बाद ऐसा बयान दिया था?” और बिग बॉस के घर में अगर उन पर सवाल उठे तो शायद उन्हें जवाब देने में पहले से भी ज़्यादा मुश्किल होगी। क्योंकि इंटरनेट जनता भूलता नहीं और उनकी गलती बार-बार उन्हें कटघरे में खड़ा करती रहेगी।