देव उठनी एकादशी हिंदू धर्म में अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। इस दिन को भगवान विष्णु के जागने का दिन माना जाता है, जो चातुर्मास के चार महीने के विश्राम के बाद आता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी या देव उठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष 2023 में यह पवित्र दिन 12 नवंबर को मनाया जाएगा। भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
देव उठनी एकादशी का धार्मिक महत्व
देव उठनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु, जो चार महीने के चातुर्मास में योग निद्रा में होते हैं, पुनः जागते हैं। चातुर्मास की अवधि में विवाह, शुभ कार्य और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, क्योंकि इस दौरान देवगण योग निद्रा में होते हैं। देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागरण के साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। यह तिथि धार्मिक दृष्टि से इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति बनी रहती है।
व्रत एवं पूजन विधि
देव उठनी एकादशी पर व्रत और पूजा की विशेष विधि होती है, जिसे श्रद्धालु भक्त मनोभाव से संपन्न करते हैं। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यहाँ देव उठनी एकादशी के व्रत और पूजा का संपूर्ण विधान बताया गया है:
- स्नान एवं संकल्प: प्रातःकाल स्नानादि से शुद्ध होकर भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें। यह संकल्प श्रद्धा और विश्वास के साथ लें।
- भगवान विष्णु की पूजा: घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर पंचामृत से स्नान कराएँ। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाएँ, पुष्प, तुलसी पत्र, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ: भगवान विष्णु की पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना विशेष पुण्यकारी माना गया है। यह पाठ करने से व्यक्ति की सभी समस्याओं का निवारण होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- आरती एवं प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें। आरती के बाद सभी भक्तों में प्रसाद का वितरण करें।
- रात्रि जागरण: देव उठनी एकादशी की रात को जागरण का भी विशेष महत्व है। इस दिन रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
मंत्र
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥
- श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव॥
- हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥
व्रत का महत्व और लाभ
देव उठनी एकादशी के व्रत का लाभ धार्मिक ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत रखने से मन की शांति, आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक सुख-संपन्नता प्राप्त होती है। जो लोग व्रत रखते हैं, उन्हें एक दिन पहले अर्थात् दशमी तिथि की रात को सात्विक भोजन करना चाहिए और एकादशी के दिन निर्जल व्रत का पालन करना चाहिए। अगले दिन, द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
इस वर्ष देव उठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में करना आवश्यक है। सही समय पर पूजा और व्रत का पारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त:
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- एकादशी तिथि प्रारंभ: 11 नवंबर 2024 को 18:47
- एकादशी तिथि समाप्त: 12 नवंबर 2024 को 16:05 बजे
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देव उठनी एकादशी से जुड़ी मान्यताएँ
धार्मिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं, तो सभी देवी-देवता और देवगण इस दिन उनका स्वागत करते हैं। इस दिन को देवताओं के जागरण का प्रतीक माना जाता है, और यह तिथि शुभ कार्यों के आरंभ की मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसमें तुलसी जी और भगवान शालिग्राम का विवाह धूमधाम से संपन्न होता है।
देव उठनी एकादशी का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। भक्तगण इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन का महत्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में धर्म और भक्ति का विशेष स्थान होता है, जो हमें सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति और ईश्वर की कृपा प्रदान करता है।
इस एकादशी पर व्रत एवं पूजा कर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को धर्ममय और सुखमय बनाएं।