बॉलीवुड में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर अभिनेता जयदीप अहलावत एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह कोई नई फिल्म नहीं बल्कि एक पुराना किस्सा है, जो उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में साझा किया।
यह किस्सा जुड़ा है 2013 में रिलीज हुई कमल हासन की चर्चित फिल्म ‘विश्वरूपम’ से। जयदीप ने बताया कि जब फिल्म की शूटिंग अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हो रही थी, तब उन्हें और उनकी टीम को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया। वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे।
गंभीर शूटिंग सीन बना पुलिस के लिए खतरे की घंटी
जयदीप अहलावत ने बताया कि वे फिल्म में एक अफगानी आतंकवादी की भूमिका निभा रहे थे। शूटिंग के दौरान उन्हें ऐसे कपड़े पहनाए गए थे जिससे वो हूबहू किसी आतंकी जैसे दिखते थे—लंबी दाढ़ी, चश्मा, सैन्य जैकेट, और नकली बंदूकें।
“हम तीन SUVs में ब्रुकलिन ब्रिज से बार-बार गुजर रहे थे… और तभी सामने से अचानक NYPD की गाड़ियाँ आ गईं,” जयदीप ने बताया।
“उन्होंने हमें चारों ओर से घेर लिया, कुछ अफसरों के हाथ बंदूक की ओर थे… मैं डर गया था।”
पुलिस को लगा, कोई असली हमला होने वाला है!
अमेरिका जैसे देश में, खासतौर से 9/11 के बाद, सुरक्षा एजेंसियाँ ज़रा सी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत हरकत में आ जाती हैं।
फिल्म यूनिट के इस ‘रियलिस्टिक लुक’ और लगातार एक ही रूट पर चल रही SUV गाड़ियों ने पुलिस को शक में डाल दिया।
“मुझे लगा, कहीं गोली ना चल जाए,” जयदीप ने कहा।
“मैं सच में डर गया था, पर तभी कमल हासन सर ने पूरी स्थिति को संभाल लिया।”
कमल हासन बने संकटमोचक
कमल हासन जो इस फिल्म के निर्देशक और अभिनेता दोनों थे, उन्होंने तत्काल पुलिस से बातचीत की, फिल्म की परमिशन, स्क्रिप्ट और शूटिंग डॉक्युमेंट्स दिखाए।
कुछ ही देर में स्थिति सामान्य हुई और पुलिस ने टीम को जाने दिया।
“अगर कमल सर वहाँ न होते तो हम सब के लिए मामला गंभीर हो सकता था,” जयदीप ने स्वीकार किया।
‘विश्वरूपम’ फिल्म और जयदीप का सफर
‘विश्वरूपम’ एक एक्शन-थ्रिलर फिल्म थी, जिसमें आतंकवाद, जासूसी और मानवाधिकार के मुद्दे थे। जयदीप ने इसमें एक मजबूत भूमिका निभाई थी।
आज जब वो उस दौर को याद करते हैं तो एक हल्की मुस्कान के साथ कहते हैं:
“एक कलाकार के लिए यह अनुभव भी अभिनय से कम नहीं था… बस स्क्रिप्ट में नहीं था।”
ऐसे रियल लुक्स की शूटिंग कितना रिस्की हो सकती है?
यह घटना एक बड़ा उदाहरण है कि रियलिस्टिक फिल्ममेकिंग और लोकेशन शूट्स कितनी ज़िम्मेदारी की माँग करते हैं।
सेफ्टी प्रोटोकॉल, स्थानीय अथॉरिटीज से परमिशन, और टीम की सतर्कता—इन सभी के बिना किसी भी सीन की शूटिंग खतरनाक हो सकती है।
जयदीप अहलावत का यह किस्सा केवल एक फिल्म शूट का अनुभव नहीं था, बल्कि यह बताता है कि एक कलाकार को कितनी गंभीर और अप्रत्याशित परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है।
कमल हासन जैसे वरिष्ठ अभिनेता की सूझबूझ और नेतृत्व ही टीम को मुश्किल से निकाल सका।
और शायद इसलिए ही ‘विश्वरूपम’ जैसी फिल्में इतिहास बनाती हैं – पर्दे पर भी और पर्दे के पीछे भी।